शतावरी के फायदे, नुकसान और उपयोग की विधि | आयुर्वेदिक चमत्कार
शतावरी (Shatavari) एक बहुप्रसिद्ध आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसे संस्कृत में “शतमूलिका” भी कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है – “सौ जड़ों वाली”। इसका वैज्ञानिक नाम Asparagus racemosus है और यह बेलनुमा पौधा होता है, जिसकी जड़ें औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं।
शतावरी की जड़ें जमीन के भीतर एक गुच्छे के रूप में होती हैं। एक बेल के नीचे 50 से 100 तक पतली, लंबी, दूधिया-सफेद जड़ें होती हैं जो सूखने पर हल्की भूरी हो जाती हैं। इन्हीं जड़ों से चूर्ण, अर्क, काढ़ा, और औषधीय घी बनाया जाता है।
🌿 आयुर्वेद में शतावरी का स्थान
- रस: मधुर, तिक्त
- गुण: गुरु (भारी), स्निग्ध (चिकनाईयुक्त)
- वीर्य: शीत (ठंडा)
- दोष शमन: पित्त और वात का शमन करती है
- प्रमुख प्रभाव: रसायन (पुनर्यौवन), बल्य (शक्ति देने वाली), स्तन्यजनन (दूध बढ़ाने वाली)

🧠 शतावरी के प्रमुख औषधीय फायदे (Shatavari ke Fayde in Detail)
अब जानते हैं एक-एक करके शतावरी के उन अद्भुत फायदों को, जो इसे एक सम्पूर्ण आयुर्वेदिक औषधि बनाते हैं।

1. 🌙 अनिद्रा में फायदेमंद
समस्या: नींद न आना, बेचैनी
उपयोग विधि:
2–3 ग्राम शतावरी चूर्ण को गर्म दूध में घोलकर रात को सोने से पहले लें।
फायदा:
शतावरी का शीतल प्रभाव मन को शांति देता है, तनाव को कम करता है और गहरी नींद लाने में मदद करता है।
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2. 🤰 गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी
समस्या: कमजोरी, भ्रूण की वृद्धि में कमी
उपयोग विधि:
शतावरी, सोंठ, मुलैठी और भृंगराज को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाएं। 1-2 ग्राम चूर्ण को बकरी के दूध में मिलाकर सेवन करें।
फायदा:
गर्भस्थ शिशु की वृद्धि में सहायक, मां की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, गर्भपात का खतरा कम होता है।
3. 🤱 स्तनों में दूध की कमी
समस्या: दूध की कमी (Low Lactation)
उपयोग विधि:
10 ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध में घोलकर प्रतिदिन सुबह-शाम लें।
फायदा:
शतावरी में स्तन्यजनन गुण होते हैं, जो स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ाते हैं। इसे लैक्टेशन बूस्टर भी कहा जाता है।

4. 🏋️♂️ शारीरिक कमजोरी और थकान
समस्या: कमजोरी, थकावट, दुर्बलता
उपयोग विधि:
शतावरी चूर्ण को देसी घी में मिलाकर सेवन करें या शरीर पर मालिश करें।
फायदा:
यह बल्य औषधि है, जिससे शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है और मांसपेशियों को पोषण मिलता है।
5. 🧬 यौन शक्ति बढ़ाने में सहायक
समस्या: मर्दाना कमजोरी, कामेच्छा की कमी
उपयोग विधि:
शतावरी की खीर बनाएं – 5 ग्राम शतावरी चूर्ण, दूध, शहद और केसर के साथ पकाएं।
फायदा:
शतावरी रसायन गुणों से युक्त है। यह वीर्य को पोषण देती है, कामेच्छा बढ़ाती है और स्त्री-पुरुष दोनों के लिए उपयोगी है।
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6. 🧪 वीर्य दोष और शुक्राणु की कमी
समस्या: वीर्य पतलापन, शुक्राणु की संख्या कम
उपयोग विधि:
5 ग्राम शतावरी चूर्ण को देसी घी और मिश्री के साथ सेवन करें।
फायदा:
शतावरी ओजवर्धक है। यह शुक्र धातु को पुष्ट करती है और शुक्राणुओं की संख्या तथा गुणवत्ता में वृद्धि करती है।
7. 🤧 सर्दी-जुकाम और गला बैठना
समस्या: बार-बार सर्दी, गले की खराश
उपयोग विधि:
15 मिली शतावरी का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार लें।
फायदा:
इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गले की सूजन और संक्रमण को कम करते हैं।

8. 😷 सूखी खांसी और कफ विकार
समस्या: सूखी खांसी, बलगम जमना
उपयोग विधि:
10 ग्राम शतावरी, 10 ग्राम अडूसा, 10 ग्राम मिश्री को 150 मिली पानी में उबालकर दिन में 3 बार लें।
फायदा:
सूखी खांसी और कफ से राहत मिलती है। शतावरी का शीतल प्रभाव फेफड़ों को राहत देता है।
9. 🗣️ सांस की बीमारी में लाभकारी
समस्या: दमा, सांस फूलना
उपयोग विधि:
शतावरी चूर्ण 5 ग्राम, गाय का घी और दूध – सभी को मिलाकर गर्म करें और सेवन करें।
फायदा:
यह वायुविकार को संतुलित करता है और श्वसन नली को खोलने में मदद करता है।

10. 💩 बवासीर और दस्त
समस्या: खून वाली बवासीर, दस्त
उपयोग विधि:
2–4 ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें।
फायदा:
यह मल को सहज करता है, रक्तस्राव को रोकता है और पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है।
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11. 🤢 अपच और पेट दर्द
समस्या: गैस, अपच, पेट में जलन
उपयोग विधि:
5 मिली शतावरी के रस में शहद और दूध मिलाकर लें।
फायदा:
शतावरी पाचन अग्नि को संतुलित करती है और अम्लपित्त (Acidity) में आराम देती है।

12. 🤕 सिर दर्द और आधासीसी
समस्या: माइग्रेन, अधकपारी
उपयोग विधि:
शतावरी जड़ का रस और तिल का तेल मिलाकर सिर पर मालिश करें।
फायदा:
सिर की गर्मी शांत होती है और रक्त संचार बेहतर होता है जिससे दर्द कम होता है।

13. 👃 नाक के रोगों में उपयोगी
समस्या: नाक से बार-बार पानी आना, नाक बंद
उपयोग विधि:
5 ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध में पकाकर पिएं।
फायदा:
नाक के विकार दूर होते हैं और श्वास मार्ग खुलता है।

14. 🩸 मूत्र विकार और जलन
समस्या: पेशाब में जलन, बार-बार पेशाब
उपयोग विधि:
10–30 मिली शतावरी रस में मधु और चीनी मिलाकर सेवन करें।
फायदा:
यह मूत्रमार्ग की सूजन को कम करता है और बार-बार पेशाब की समस्या से राहत दिलाता है।
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15. 👩🦰 महिलाओं की विशेष समस्याएं
समस्या: अनियमित माहवारी, गर्भाशय की कमजोरी
उपयोग विधि:
शतावरी चूर्ण को दूध के साथ नियमित रूप से लें।
फायदा:
यह गर्भाशय की मजबूती, हार्मोन संतुलन और माहवारी नियमित करने में सहायक है।

⚠️ शतावरी के नुकसान (Shatavari ke Nuksan)
शतावरी के कई फायदे हैं, लेकिन कुछ स्थितियों में इसके सेवन से नुकसान भी हो सकते हैं।
❌ अधिक सेवन के दुष्प्रभाव:
- अपच या पेट फूलना
- दस्त
- एलर्जी (कभी-कभी)
- हार्मोन-संवेदनशील रोग (जैसे PCOS या स्तन कैंसर) में चिकित्सकीय सलाह जरूरी
❌ इन स्थितियों में न लें:
- गर्भावस्था के पहले तीन महीने (बिना डॉक्टर सलाह)
- किडनी रोग में
- मधुमेह रोगी – ब्लड शुगर कम हो सकता है

📦 शतावरी के उपयोगी भाग (Useful Parts of Shatavari)
भाग | उपयोग |
---|---|
जड़ | चूर्ण, रस, काढ़ा बनाने में |
पत्ते | घाव पर लगाने हेतु |
कंद | रस, खीर, अर्क |
चूर्ण | सभी प्रकार के सेवन हेतु |

🧪 शतावरी का सेवन कैसे करें? (How to Use Shatavari?)
प्रकार | मात्रा | विधि |
---|---|---|
चूर्ण | 3-6 ग्राम | दूध/घी/शहद के साथ |
रस | 10–20 मिली | सुबह खाली पेट |
काढ़ा | 50–100 मिली | दिन में 1–2 बार |

🌍 शतावरी कहां पाई जाती है? (Where is Shatavari Grown?)
भारत में शतावरी की खेती मुख्यतः हिमालयी क्षेत्रों, गंगा के मैदानी इलाकों, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य भारत में की जाती है। यह 1500 मीटर ऊंचाई तक उगाई जाती है और जंगलों में भी स्वाभाविक रूप से पाई जाती है।

🔷 शतावरी से जुड़े 10 महत्वपूर्ण FAQs
प्रश्न 1: शतावरी क्या है और इसका सबसे अधिक उपयोग किसमें होता है?
उत्तर: शतावरी एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है, जिसकी जड़ें औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं। इसका उपयोग खासकर महिलाओं के स्वास्थ्य, पाचन शक्ति, यौन दुर्बलता, व शारीरिक कमजोरी के उपचार में सबसे अधिक होता है।
प्रश्न 2: क्या शतावरी महिलाओं के लिए फायदेमंद है?
उत्तर: हां, शतावरी महिलाओं के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह हार्मोन संतुलन करती है, गर्भधारण में सहायक है, और प्रसव के बाद स्तनों में दूध बढ़ाने में मदद करती है।
प्रश्न 3: क्या पुरुषों को भी शतावरी का सेवन करना चाहिए?
उत्तर: जी हां, पुरुषों में यह वीर्यवृद्धि, यौन शक्ति में सुधार, मानसिक तनाव में कमी, और शारीरिक बल बढ़ाने के लिए लाभकारी है।
प्रश्न 4: शतावरी का सेवन कैसे करें?
उत्तर: शतावरी का सेवन चूर्ण, काढ़ा, घी या रस के रूप में किया जा सकता है। आमतौर पर 3-6 ग्राम चूर्ण दूध के साथ लिया जाता है। लेकिन मात्रा व्यक्ति की स्थिति के अनुसार भिन्न हो सकती है।
प्रश्न 5: क्या शतावरी गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित है?
उत्तर: आयुर्वेद में शतावरी को गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित माना गया है, परंतु इसका सेवन आयुर्वेदाचार्य या डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए।
प्रश्न 6: क्या शतावरी का सेवन वजन बढ़ाता है?
उत्तर: शतावरी भूख बढ़ाकर और पोषण देकर शरीर को ताकत देती है, जिससे कुछ लोगों में वजन बढ़ने में मदद मिल सकती है। यह दुबले-पतले लोगों के लिए सहायक है।
प्रश्न 7: क्या शतावरी का सेवन नियमित रूप से किया जा सकता है?
उत्तर: हां, लेकिन सीमित मात्रा में। अधिक मात्रा में सेवन करने पर पाचन संबंधी गड़बड़ी या दस्त की शिकायत हो सकती है। इसलिए उचित मात्रा में और समय-सीमा में ही लें।
प्रश्न 8: क्या शतावरी बच्चों के लिए सुरक्षित है?
उत्तर: छोटे बच्चों के लिए इसका सेवन केवल चिकित्सकीय परामर्श पर ही करवाना चाहिए। यह गर्म तासीर वाली औषधि है, अतः बच्चे की प्रकृति के अनुसार निर्णय लें।
प्रश्न 9: क्या शतावरी से कोई दुष्प्रभाव (Side Effects) हो सकते हैं?
उत्तर: अत्यधिक मात्रा में सेवन करने पर पेट फूलना, दस्त, या अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। गर्म प्रकृति वाले व्यक्ति को सावधानी से प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्न 10: क्या शतावरी आयुर्वेद के अनुसार Rasayan औषधियों में आती है?
उत्तर: हां, शतावरी को एक श्रेष्ठ “रसायन औषधि” माना गया है जो शरीर को दीर्घायु, बलवान और रोगों से लड़ने में सक्षम बनाती है।
🔚 निष्कर्ष (Conclusion)
शतावरी एक चमत्कारी औषधि है जिसे अगर सही समय, मात्रा और विधि से लिया जाए, तो यह स्त्रियों और पुरुषों दोनों के लिए कई रोगों का रामबाण इलाज है। हालांकि, किसी भी औषधि की तरह इसे भी चिकित्सकीय सलाह के साथ ही नियमित रूप से लेना चाहिए। शतावरी शरीर को संजीवनी शक्ति देती है और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए एक बहुमूल्य उपहार है।
⚠️ डिस्क्लेमर (Disclaimer)
इस लेख में दी गई जानकारी पारंपरिक आयुर्वेदिक ग्रंथों, शोध लेखों और अनुभवी विशेषज्ञों की सलाह पर आधारित है। “शतावरी के फायदे” व्यक्तिगत शारीरिक प्रकृति, उम्र, रोग और अन्य औषधियों के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। किसी भी औषधि या उपाय को अपनाने से पहले योग्य आयुर्वेदाचार्य या चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।
“स्वस्थ भारत” ब्लॉग किसी भी प्रकार की स्व-चिकित्सा या हानि के लिए उत्तरदायी नहीं है। यह लेख केवल शैक्षणिक और जागरूकता के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है।
“प्राकृतिक शक्ति से भरपूर जीवन – स्वस्थ भारत के साथ!”
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